दमा के रोगियों को गोखरू के फल और अंजीर के फ़ल समान मात्रा में लेकर कूटना
चाहिए और दिन में तीन बार लगभग 5 ग्राम मात्रा का सेवन करना चाहिए, दमा ठीक
हो जाता है।
लहसुन की 2 कच्ची कलियां सुबह खाली पेट चबाने के बाद आधे घण्टे से मुलेठी नामक जड़ी-बूटी का आधा चम्मच सेवन दो महीने तक लगातार करने से दमा जैसी घातक बीमारी से सदैव की छुट्टी मिल जाती है।
अस्थमा के रोगी को यदि अजवायन के बीज और लौंग की समान मात्रा का 5 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन दिया जाए तो काफी फ़ायदा होता है।
अस्थमा को दूर करने के लिए अडूसा की पत्तियों के रस को शहद में मिलाकर रोगी को दिया जाता है।
लहसुन की 2 कच्ची कलियां सुबह खाली पेट चबाने के बाद आधे घण्टे से मुलेठी नामक जड़ी-बूटी का आधा चम्मच सेवन दो महीने तक लगातार करने से दमा जैसी घातक बीमारी से सदैव की छुट्टी मिल जाती है।
अस्थमा के रोगी को यदि अजवायन के बीज और लौंग की समान मात्रा का 5 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन दिया जाए तो काफी फ़ायदा होता है।
अस्थमा को दूर करने के लिए अडूसा की पत्तियों के रस को शहद में मिलाकर रोगी को दिया जाता है।
लगभग 50 ग्राम अंगूर का रस गर्म करके स्वास या दमा के रोगी को पिलाया जाए तो साँस लेने की गति सामान्य हो जाती है।
गेंदा के फ़ूलो को सुखा लिया जाए और इसके बीजों को एकत्र कर मिश्री के दानों के साथ समान मात्रा (5 ग्राम प्रत्येक) का सेवन कुछ समय तक दिन में दो बार किया जाए तो दमा और खांसी के मरीज को काफी फायदा होता है।
पान के पत्तों के साथ अशोक के बीजों का चूर्ण की एक चम्मच मात्रा चबाने से सांस फूलने की शिकायत और दमा में आराम मिलता है।
पालक के एक गिलास जूस में स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से दमा और श्वास रोगों में खूब लाभ मिलता है।
फेफड़ों पर इसके प्रभाव के चलते क्रोनिक ब्रोन्काइटिस और अस्थमा के इलाज के लिए प्राचीन काल से वच नामक जडी का प्रयोग किया जाता है। वच के टुकडों को चूसते रहने और प्रतिदिन वच की चाय पीने से असर काफी तेज होता है।
अस्थमा की समस्या से निजात पाने के लिए रोज सुबह 30 एमएल दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालकर खाएं। अस्थमा में होने वाली सांस की परेशानी दूर होगी।
गेंदा के फ़ूलो को सुखा लिया जाए और इसके बीजों को एकत्र कर मिश्री के दानों के साथ समान मात्रा (5 ग्राम प्रत्येक) का सेवन कुछ समय तक दिन में दो बार किया जाए तो दमा और खांसी के मरीज को काफी फायदा होता है।
पान के पत्तों के साथ अशोक के बीजों का चूर्ण की एक चम्मच मात्रा चबाने से सांस फूलने की शिकायत और दमा में आराम मिलता है।
पालक के एक गिलास जूस में स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से दमा और श्वास रोगों में खूब लाभ मिलता है।
फेफड़ों पर इसके प्रभाव के चलते क्रोनिक ब्रोन्काइटिस और अस्थमा के इलाज के लिए प्राचीन काल से वच नामक जडी का प्रयोग किया जाता है। वच के टुकडों को चूसते रहने और प्रतिदिन वच की चाय पीने से असर काफी तेज होता है।
अस्थमा की समस्या से निजात पाने के लिए रोज सुबह 30 एमएल दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालकर खाएं। अस्थमा में होने वाली सांस की परेशानी दूर होगी।
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